120+ Best Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | Sanskrit Slokas (संस्कृत श्लोक) With Meaning In Hindi

Friends! आज हम आप सभी के लिए agritutorials में संस्कृत के 120+ best sanskrit shlok (संस्कृत श्लोक), sanskrit mein shlok नामक एक बेहतरीन post लेकरआये हैं, जो की sanskrit shlok with hindi meaning (sanskrit slokas with meaning in hindi) में हैं।

संस्कृत भारत की official languages में से एक है और इसे देश की classical language के रूप में जाना जाता है। प्राचीन काल में संस्कृत (sanskrit) भारत की जनभाषा थी और वर्तमान समय में धीरे धीरे ये लोगो के बीच अपनी जगह को वापस बना रही है, इसीलिए आज कल हर कोई संस्कृत बोलना, पढ़ना एवं लिखना सीख रहा है।

इसी कारन से आज हम आपके लिए sanskrit ke shlok लेकर आये हैं ये वो best sanskrit ke shlok, sanskrit mein shlok का collection है जो महत्वपूर्ण ग्रंथों, वेदों, (rig veda quotes in sanskrit with meaning) पुराणों एवं धार्मिक पुस्तकों में लिखे हैं।

Sanskrit Slokas With Meaning In Hindi

ये sanskrit quotes, sanskrit mein shlok आपके रोज मर्रा के बोलचाल में बोहोत फायदे मंद सबैत हो सकते हैं। यहाँ पर best shlok in sanskrit मैं दिए गए हैं

यहां सभी best sanskrit shlok arth sahit हिंदी (best sanskrit to hindi translation) में दिया गया है, जो आपको संस्कृत श्लोक (sanskrit shlok) के अर्थ को समझने में मदद करेगा।

मुझे यकीन है की आपको ये post- sanskrit shlok with hindi meaning में बहुत पसंद आएगा।

आप अपने अनमोल comments, कमैंट्स बॉक्स में साझा कर सकते हैं । मुझे आपके comments पढ़ कर बोहोत ख़ुशी।

Shlok In sanskrit For Class 6 | Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

Easy sanskrit shlok with meaning | sanskrit shlok and its meaning

(1) sanskrit mein shlok

यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्र तस्य करोति किम्।
लोचनाभ्यां विहीनस्य, दर्पणः किं करिष्यति॥

Hindi Translation: sanskrit shlok with meaning in hindi

जिसके पास स्वयं बुद्धि नहीं है, उसका शास्त्र भला क्या कर सकते हैं? आँखों से अन्धे व्यक्ति के लिए भला शीशा क्या कर सकता है?


Easy sanskrit shlok with meaning | sanskrit shlok and its meaning

(2) sanskrit mein shlok

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देवदेव

Hindi Translation: sanskrit shlok with meaning in hindi

तुम ही मेरी माता हो और तुम ही मेरे पिता हो। तुम ही मेरे बंधुजन हो और तुम ही मेरे मित्र हो। तुम्हीं विद्या हो और तुम ही धन दौलत हो। हे! मेरे देव (भगवान) मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो।
(उक्त श्लोक में ईश्वर को सर्वस्व मानते हुए प्रार्थना की गई है।)

Sanskrit Shlok with Hindi Meaning
Sanskrit Shlok with Hindi Meaning

Easy sanskrit shlok with meaning | sanskrit shlok and its meaning

(3) sanskrit mein shlok

उद्यमेन हि सिध्यन्ति, कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य, प्रविशन्ति मुखे मृगाः

Hindi Translation: shlok hindi

परिश्रम करने से कार्य सिद्ध होते हैं केवल इच्छा करने से नहीं। क्योंकि सोते हुए शेर के मुख में पशु स्वयं प्रवेश नहीं करते अर्थात् उसे अपना शिकार परिश्रमपूर्वक ही करना पड़ता है।


Easy sanskrit shlok with meaning | sanskrit shlok arth sahit

(4) sanskrit mein shlok

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः

Hindi Translation: shlok hindi

गुरु ब्रह्मा है, गुरू विष्णु है, गुरू महेश्वर अर्थात भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परम ब्रह्म सर्वशक्तिमान है, ऐसे गुरु को मेरा नमस्कार। (उक्त श्लोक में गुरू की महत्ता स्पष्ट करते हुए गुरु को परम ईश्वर के तुल्य बताकर वंदना की गई है।)


sanskrit shloks | sanskrit shlok arth sahit

(5) sanskrit mein shlok

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता

Hindi Translation: shlok hindi

प्रिय वचन बोलने से तो सभी प्राणी सन्तुष्ट हो जाते हैं, इसलिए प्रिय ही बोलना चाहिए। (प्रिय) वचन बोलने से कौन सी दरिद्रता आती है? अर्थात् प्रिय वचन बोलने से किसी भी प्रकार की धनहीनता नहीं आ सकती।


sanskrit shloks | sanskrit shlokas with meaning in hindi

(6) salok in sanskrit

काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयो:।
वसन्तकाले सम्प्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः

Hindi Translation: shlok hindi

कौआ काला होता है और कोयल भी काली होती है। इस तरह कोयल ओर कौए में कौन सा भेद है अर्थात् रंग और आकृति के समान होने से उनमें भेद कर पाना मुश्किल है। परन्तु वसन्त ऋतु के आगमन पर कौआ कौआ है और कोयल कोयल ही होती है अर्थात् वसन्त के आने पर कौआ और कोयल का भेद उनके स्वर से स्पष्ट हो जाता है।


sanskrit shloks | Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

(7) sanskrit mein shlok

मूकं करोति वाचालं, पङ्गुं लङ्घयते गिरिम।
यत्कृपा तमहं वन्दे, परमानन्दमाधवम्

Hindi Translation: shlok hindi

जिसकी कृपा से गूंगे बोलने लगते हैं, जिसकी कृपा से लंगड़े पर्वतों को पार कर लेते हैं। उस परम माधव (ईश्वर) की वन्दना करता हूँ। (उक्त श्लोक में ईश्वर की महिमा का बखान किया गया है कि यदि ईश्वर की कृपा हो जाये तो असमर्थ भी समर्थवान बन जाता है।)


(8) salok in sanskrit

नरस्याभरणं रूपं, रूपस्याभरणं गुणः।
गुणस्याभरणं ज्ञानं, ज्ञानस्याभरणं क्षमा॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

मनुष्य का आभूषण रूप-सौन्दर्य है तथा रूप का आभूषण गुण हुआ करता है। गुण का आभूषण ज्ञान होता है तथा ज्ञान का आभूषण क्षमा है अर्थात् क्षमाशीलता मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण होता है।


(9) sanskrit mein shlok

नमस्ते शारदे देवि, कश्मीरपुरवासिनि।
त्वामहं प्रार्थये नित्यं, विद्यां बुद्धिं च देहि मे॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

हे काश्मीरपुर (पर्वतीय स्थलों) में निवास करने वाली माँ शारदा (सरस्वती) मैं आपकी नित्यप्रति वन्दना करता हूँ, मुझे विद्या और बुद्धि प्रदान कीजिए।


(10) salok in sanskrit

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

प्रिय वचन बोलने से तो सभी प्राणी सन्तुष्ट हो जाते हैं, इसलिए प्रिय ही बोलना चाहिए। (प्रिय) वचन बोलने से कौन सी दरिद्रता आती है? अर्थात् प्रिय वचन बोलने से किसी भी प्रकार की धनहीनता नहीं आ सकती।


(11) salok in sanskrit

काकचेष्टो बकध्यानी श्वाननिद्रस्तथैव च।
अल्पाहारी गृहत्यागी, विद्यार्थी पञ्चलक्षणः॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

कौए की तरह चेष्टावान्, बगुले की तरह ध्यान मग्नता तथा कुत्ते जैसी निद्रा (अर्थात् नींद में भी सावधानता), स्वल्प (कम) आहार करने वाला तथा घर का त्याग करने वाला-इस प्रकार विद्यार्थी के ये पाँच लक्षण होते हैं।


(12) sanskrit mein shlok

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

सभी लोग सुखी हों, सभी लोग निरोगी हों। सभी का भला देखें, कोई भी दुःख का भागीदार न हो।
(उक्त श्लोक में वसुधैवकुटुम्बकम् की भावना अभिव्यक्त करते हुए सभी के लिए मंगल कामना की गई है।)


(13) salok in sanskrit

काव्यशास्त्रविनोदेन, कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन तु मूर्खाणां, निद्रया कलेहन वा॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

बुद्धिमान लोग अपना समय काव्यशास्त्र से विनोद करते हुए (मनोरंजन करते हुए) व्यतीत करते हैं जबकि मूर्ख लोग बुरी आदतों से, सोते हुए होने से, अथवा लड़ाई-झगड़े करते रहने के द्वारा अपना समय व्यतीत करते हैं।


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Shlok In Sanskrit For Class 7 | Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

(14) salok in sanskrit

पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्।
मूढः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते॥

Hindi Translation: shlok in hindi

पृथ्वी पर जल, अन्न और सुवचन ये तीन ही रत्न हैं परंतु मूों के द्वारा पत्थर के टुकड़ों को रत्न का नाम दिया जाता है।


(15) sanskrit mein shlok

क्षमावशीकृतिर्लोके क्षमया किं न साध्यते।
शान्तिखड्गः करे यस्य किं करिष्यति दुर्जनः॥

Hindi Translation: shlok in hindi

क्षमा संसार में (सबसे बड़ा) वशीकरण है। क्षमा से क्या (कार्य) पूर्ण नहीं होता है ? जिसके हाथ में क्षमारूपी तलवार है, उसका दुष्ट व्यक्ति क्या कर सकता है (क्या बुरा कर सकता है)?


(16) salok in sanskrit

सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः।
सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम्॥

Hindi Translation: shlok in hindi

सत्य से पृथ्वी धारण की जाती है। सत्य से सूरज तपता है और सत्य से ही वायु प्रवाहित होती है। सब कुछ सत्य में समाहित (स्थित) है।


(17) sanskrit ka shlok

धनधान्यप्रयोगेषु विद्यायाः संग्रहेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्॥

Hindi Translation: shlok in hindi

धन धान्य के प्रयोग में और विद्या के संचय में, आहार और व्यवहार में संकोच को छोड़नेवाला अर्थात् उदार प्रवृत्ति वाला व्यक्ति सुखी (होता है)।


(18) sanskrit ka shlok

दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये।
विस्मयो न हि कर्त्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा॥

Hindi Translation: shlok in hindi

दान में, तपस्या में, बल में, विशेष ज्ञान में, विनम्रता में और नीति में निश्चय ही आश्चर्य नहीं करना चाहिए। पृथ्वी बहुत रत्नों वाली है। अर्थात् पृथ्वी में बहुत से ऐसे रत्न भरे हुए हैं।


(19) sanskrit mein shlok

सद्भिरेव सहासीत सद्भिः कुर्वीत सङ्गतिम्।
सद्भिर्विवादं मैत्री च नासद्भिः किञ्चिदाचरेत्॥

Hindi Translation: shlok in hindi

सज्जनों के साथ ही बैठना चाहिए। सज्जनों के साथ संगति (रहन-सहन) करनी चाहिए। सज्जनों के साथ विवाद (तर्क-वितर्क) और मित्रता करनी चाहिए।असज्जनों (दुष्टों) के साथ कुछ भी व्यवहार नहीं करना चाहिए।

Sanskrit Shlok with Hindi Meaning
Sanskrit Shlok with Hindi Meaning

Small Easy Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | 2 line slokas

(20) sanskrit ke shlok

गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिंतयेत्‌।
वर्तमानेन कालेन वर्तयंति विचक्षणाः॥

Hindi Translation: shlok in hindi

किसी को अतीत पर पछतावा नहीं करना चाहिए, किसी को भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए, वर्तमान समय में समझदार पुरुष कार्य करते हैं।


Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | 2 line slokas

(21) sanskrit ke shlok

ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः

Hindi Translation: shlok in hindi

गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ।


Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | 2 line slokas

(22) sanskrit ke shlok

यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः।
आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते॥

Hindi Translation: shlok in hindi

जो मनुष्य आत्मा में ही रमण करने वाला और आत्मा में ही तृप्त तथा आत्मा में ही सन्तुष्ट हो, उसके लिए कोई कर्तव्य नहीं है।


2 line slokas | small sanskrit shlok

(23) sanskrit ke shlok

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

Hindi Translation: shlok in hindi

हे घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर, करोड़ों सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें ( करने की कृपा करें)।


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2 line slokas | small sanskrit shlok

(24) sanskrit ke shlok

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌॥

Hindi Translation: shlok in hindi
जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं, जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं|


2 line slokas | small sanskrit shlok

(25) sanskrit ke shlok

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।

Hindi Translation: shlok in hindi

मैं दीपक के प्रकाश को प्रणाम करता हूं जो शुभता, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है, जो अनैतिक भावनाओं को नष्ट करता है बार-बार दीपक के प्रकाश को प्रणाम करता हूं।


2 line slokas | small sanskrit shlok

(26) sanskrit ke shlok

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्

Hindi Translation: shlok in hindi

यह हमारा,यह दूसरे का , ऐसा खुद्र बुद्धि वाले ही सोचा करते हैं। विशाल ह्रदय वालों के लिये पूरा संसार ही अपना है – कौइ पराया नहीं है।


small easy sanskrit shlok | short sanskrit shlok

(27) sanskrit mein shlok

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्धर्मो यशो बलम्

Hindi Translation: slokas in hindi

जो सदा नम्र, सुशील, विद्वान् और वृद्धों की सेवा करता है उसकी आयु, विद्या, कृति और बल इन चारों में वृद्धि होती है।


small easy sanskrit shlok | short sanskrit shlok

(28)

आपत्काले तु संप्राप्ते यन्मित्रं मित्रमेव तत।
वृद्धिकाले तु संप्राप्ते दुर्जनोSपि सुहृद भवेत्

Hindi Translation: slokas in hindi

विपत्ति में ही मित्र की परीक्षा होती है, अच्छे समय में तो दुर्जन भी मित्र होते हैं।


Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | short sanskrit shlok

(29)

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता

Hindi Translation: slokas in hindi

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य प्रिय वचन बोलने की शिक्षा दे रहे है, हमें हमेशा मीठे और प्रिय वाक्यों को ही बोलना चाहिए क्योंकि इसे सुनकर सभी प्राणी खुश होते हैं इसलिए मीठे वाक्यों को बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए।


Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | short sanskrit shlok

(30) quotes on sanskrit language

प्रतिकूलतामुपगते हि विधौ विफलत्वमेति बहुसाधनता।
अवलम्बनाय दिनभर्तुरभूत्र पतिष्यतः करसहस्रमपि

Hindi Translation: slokas in hindi

भाग्य के प्रतिकूल होने पर सभी सहायक साधन व्यर्थ हो जाते हैं। अस्त होते सूर्य को हजारों किरणों हात की तरह सहारा देती है फिर भी वह डूब जाता है।


Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | small easy sanskrit shlok

(31) quotes on sanskrit language

दिवसेनैव तत् कुर्याद् येन रात्रौ सुखं वसेत्।
यावज्जीवं च तत्कुर्याद् येन प्रेत्य सुखं वसेत्

Hindi Translation: slokas in hindi

मनुष्य को दिन में वह कार्य करना चाहिए जिससे वह रात को सुख शांति से सो सकें और जब तक जीवित है तब तक वह कार्य करना चाहिए जिससे मरने के उपरांत भी सुख से रह जा सके


Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | small easy sanskrit shlok

(32) sanskrit mein shlok

आपस्तु मित्रं जानीयाद्युद्धे शूरं धने शुचिम्।
भार्या क्षिणेषु वित्तेषु व्यसनेषु च बान्धवान्

Hindi Translation: slokas in hindi

विपत्ति में मित्र, युद्ध में वीर, धन से ईमानदार और निर्धनता से स्त्री तथा आपत्ति के समय बन्धु की परीक्षा करनी चाहिये।


Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | small easy sanskrit shlok

(33) sanskrit mein shlok

जरा रूपं हरति, धैर्यमाशा, मॄत्यु: धर्मचर्यामसूया॥

Hindi Translation: slokas in hindi

वृद्धावस्था एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें पहुंचने के बाद मनुष्य की सुंदरता, धैर्य, इच्छा, मृत्यु, धर्म का आचरण, पवित्रता, क्रोध, प्रतिष्ठा, चरित्र, बुरी संगति, लज्जा, काम और अभिमान सब का नाश कर देता है


Sanskrit Shlok With Hindi Meaning | small easy sanskrit shlok

(34) sanskrit mein shlok

शैले शैले न माणिक्यं, मौक्तिकं न गजे गजे।
साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने

Hindi Translation: slokas in hindi

हर पहाड़ में माणिक नहीं मिलते हैं, हर हाथी के मस्तक में मोती नहीं प्राप्त होता सजन हर जगह विद्यमान नहीं और चन्दन का पेड़ हर वन में पाया नहीं जाता।


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Famous Sanskrit Quotes | Sanskrit Quotes | Famous Sanskrit Shlok

(35) sanskrit quotes on life
शरीरस्य गुणानाश्च,
दूरम्अन्त्य अन्तरम्।
शरीरं क्षणं विध्वंसि,
कल्पान्त स्थायिनो गुणा:

Hindi Translation: sanskrit shlok with meaning in hindi
शरीर और गुण इन दोनों में बहुत अन्तर है । शरीर थोड़े ही दिनों का मेहमान होता है जबकि गुण प्रलय काल तक बने रहते हैं ।


(36) sanskrit quotes on life
नमन्ति फलिनो वृक्षाः नमन्ति गुणिनो जनाः
शुष्क काष्ठस्य मूर्खश्च न नमन्ति कदाचन्

Hindi Translation: sanskrit shlok with meaning in hindi
फलों से लदे हुए वृक्ष भूमि की ओर झुक जाते हैं । गुणी लोग भी सदैव झुक जाते हैं । किन्तु सूखी लकड़ी और मूर्ख लोग कभी झुकते नहीं हैं ।


(37) sanskrit quotes on life
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता॥

Hindi Translation: sanskrit shlok with meaning in hindi
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य प्रिय वचन बोलने की शिक्षा दे रहे है, हमें हमेशा मीठे और प्रिय वाक्यों को ही बोलना चाहिए क्योंकि इसे सुनकर सभी प्राणी खुश होते हैं इसलिए मीठे वाक्यों को बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए।


(38) sanskrit quotes on life
दूरादतिथयो यस्य गृहमायान्ति निर्वृताः।
गृहस्थः स तु विज्ञेयः शेषास्तु गृहरक्षिणाः॥

Hindi Translation: sanskrit shlok with meaning in hindi
जिसके घर पर दूर-दूर से और आनन्द से अतिथि आते हैं, वे ही सही मायने में गृहस्थ माने जाते हैं,बाकी सब तो केवल उनके घर के पहरेदार मात्र होते हैं ।


(39) sanskrit quotes on life
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्धर्मो यशो बलम्

Hindi Translation: sanskrit shlok with meaning in hindi
जो सदा नम्र, सुशील, विद्वान् और वृद्धों की सेवा करता है उसकी आयु, विद्या, कृति और बल इन चारों में वृद्धि होती है।


(40) quotes on sanskrit language
परिश्रमो मिताहारः भेषजे सुलभे मम
नित्यं ते सेवमानस्य व्याधिर्भ्यो नास्ति ते भयम्

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
मेहनत और हल्का खाना। यह किसी भी बीमारी के लिए आसानी से उपलब्ध होने वाली दवा है। अगर आप इन्हें रोजाना करते हैं तो आपको किसी भी बीमारी का डर नहीं रहेगा।


Geeta Shlok In Sanskrit | Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit

(41) sanskrit mein shlok
नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है।


(42) sanskrit mein shlok
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
श्रीकृष्ण ने कहा कि हे अर्जुन, कर्म करना तुम्हारा अधिकार है, फल की इच्छा करने का तुम्हारा अधिकार नहीं। कर्म करना और फल की इच्छा न करना, अर्थात फल की इच्छा किए बिना कर्म करना, क्योंकि मेरा काम फल देना है।


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(43) sanskrit mein shlok
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
विषयों (वस्तुओं) के बारे में निरंतर सोचते रहने से मनुष्य को इनसे आसक्ति हो जाती है। इससे कामना यानी इच्छा पैदा होती है और कामनाओं में रूकावट आने से क्रोध उत्पन्न होता है। इसलिय श्री कृष्ण कहते हैं सांसारिक विषय वस्तु और रिश्तों में आशक्ति (attachment) मत रख


(44) sanskrit mein shlok
असक्तबुद्धि: सर्वत्र जितात्मा विगतस्पृह:।
नैष्कर्म्यसिद्धिं परमां सन्न्यासेनाधिगच्छति

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे अर्जुन ! जो आत्मसंयमी तथा अनासक्त है एवं जो समस्त भौतिक भोगों की परवाह नहीं करता, वह सन्यास के अभ्यास द्वारा कर्मफल से मुक्ति की सर्वोच्च सिद्ध-अवस्था प्राप्त कर सकता है ।


(45) sanskrit mein shlok
क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है। स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद का अपना ही नाश कर बैठता है।


(46) sanskrit mein shlok
गुरूनहत्वा हि महानुभवान श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके।
हत्वार्थकामांस्तु गुरुनिहैव भुञ्जीय भोगान्रुधिरप्रदिग्धान्

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
महाभारत युद्ध के दौरान जब उनके रिश्तेदार और शिक्षक अर्जुन के सामने खड़े थे, तो अर्जुन दुखी हो गए और श्री कृष्ण से कहा कि अपने महान शिक्षक को मारकर जीने की तुलना में भीख मांगकर जीना बेहतर है। भले ही वह लालच से बुराई का समर्थन करता है, लेकिन वह मेरा शिक्षक है, भले ही मैं उसे मारकर कुछ हासिल कर लूं, तो यह सब उसके खून से रंगा होगा।


(47) sanskrit mein shlok
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे अर्जुन ! जो इस जीवात्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसे मरा हुआ समझता है, वे दोनों ही अज्ञानी हैं, क्योंकि आत्मा न तो मारता है और न मारा जाता है ।


(48) sanskrit mein shlok
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
श्रद्धा(faith) रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों (Senses) पर संयम रखने वाले मनुष्य, अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त कते हैं, ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति को प्राप्त कर लेते हैं|


(49) Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे भारत, जब-जब धर्म का लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयम् की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं।


(50) sanskrit mein shlok
कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः।
पृच्छामि त्वां धर्म सम्मूढचेताः
यच्छ्रेयः स्यान्निश्र्चितं ब्रूहि तन्मे।
शिष्यस्तेSहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
अर्जुन श्रीकृष्ण से कहते हैं कि मेरी दुर्बलता के कारण मैं अपना धैर्य खो रहा हूं, मैं अपने कर्तव्यों को भूल रहा हूं। अब आप भी मुझे सही बताओ जो मेरे लिए सबसे अच्छा है। अब मैं आपका शिष्य हूं और आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे उपदेश दें।


(51) Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit
सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे अर्जुन ! तुम सुख या दुःख, हानि या लाभ, विजय या पराजय का विचार किये बिना युद्ध करो । ऐसा करने से तुम्हे कोई पाप नहीं लगेगा


(52) Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
इस संसार में जहाँ बुराई भी है तो अच्छाई भी है, Evil powers हैं तो Good powers भी है, हमेशा अच्छाई बुराई को पराजित करती हैं। तू चिंता मत कर, सत्य का साथ दे जीत सत्य की ही होगी।



Ganesh Shlok In Sanskrit | Ganesh Ji Shlok In Sanskrit

(53) Ganesh Shlok In Sanskrit
वक्रतुयण्ड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभ।
निर्विघ्नम कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
घुमावदार पर सूंड वाले विशाल शरीर काय , करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली , हमसब के प्रभु हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करने की कृपा करें।


(54) Ganesh Shlok In Sanskrit
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
जो एक दाँत से सुशोभित हैं, विशाल शरीरवाले हैं, लम्बोदर हैं, गजानन हैं तथा जो विघ्नोंके विनाशकर्ता हैं, मैं उन दिव्य भगवान् हेरम्बको प्रणाम करता हूँ ।


(55) Ganesh Ji Shlok In Sanskrit
एकदंताय विद्‍महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
एक दन्त भगवान गणेश का ही नाम हैं, जिन्हे हम सभी जानते हैं। घुमावदार सूंड वाले भगवान का ध्यान करते हैं। श्री गजानन हमें प्रेरणा प्रदान करते हैं।


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(56) Ganesh Shlok In Sanskrit
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है ।


(57) Ganesh Ji Shlok In Sanskrit
ऊँ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने।
दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
सभी सुखों को प्रदान करने वाले सच्चिदानंद के रूप में बाधाओं के राजा गणेश को नमस्कार। गणपति को नमस्कार, जो सर्वोच्च देवता हैं, बुरे बुरे ग्रहों का नाश करने वाले।


(58) Ganesh Shlok In Sanskrit
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
जो हाथी के समान मुख वाले हैं, भूतगणादिसे सदा सेवित रहते हैं, कैथ तथा जामुन फल जिनके लिए प्रिय भोज्य हैं, पार्वती के पुत्र हैं तथा जो प्राणियों के शोक का विनाश करनेवाले हैं, उन विघ्नेश्वर के चरणकमलों में नमस्कार करता हुँ।


(59) Ganesh Shlok In Sanskrit
सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने।
मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो नमः॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
भगवान! आप सिद्धि और बुद्धि के विशेषज्ञ हैं। माया के अधिपति और भ्रम फैलाने वालों को मिलन में जोड़ा गया है। बार-बार नमस्कार


(60) Ganesh Shlok In Sanskrit
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे गणाध्यक्ष रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिये । हे तीनों लोकों के रक्षक! रक्षा कीजिए; आप भक्तों को अभय प्रदान करनेवाले हैं, भवसागर से मेरी रक्षा कीजिये ।


(61) Ganesh Ji Shlok In Sanskrit
मूषिकवाहन् मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बित सूत्र।
वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे भगवान, जिनका वाहन चूहा है, जिनके हाथों में मोदक (लड्डू) हैं, जिनके कान बड़े पंखों की तरह हैं, और जिन्होंने पवित्र धागा पहना हुआ है। जिनका रूप छोटा है और जो महेश्वर के पुत्र हैं, जो सभी विघ्नों का नाश करने वाले हैं, मैं आपके चरणों में नतमस्तक हूं।


(62) sanskrit mein shlok
सृजन्तं पालयन्तं च, संहरन्तं निजेच्छया।
सर्वविध्नहरं देवं, मयूरेशं नमाम्यहम्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे भगवन जो स्वेच्छा से संसार की सृष्टि पालन और संहार करते हैं । उन सर्वविघ्नहारी देवता मयूरेश गणेश को मैं प्रणाम करता हूँ।


(63)
केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं।
सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
मैं उन भगवान् गणपतिकी वन्दना करता हूँ जो केयूर-हार-किरीट आदि आभूषणों से सुसज्जित हैं, चतुर्भुज हैं और अपने चार हाथों में पाशा अंकुश-वर और अभय मुद्रा को धारण करते हैं, जो तीन नेत्रों वाले हैं, जिन्हें दो स्त्रियाँ चँवर डुलाती रहती हैं ।


(64)
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
विघ्नेश्वर वर देनेवाले देवी देवताओं को प्रिय लम्बोदर , कलाओंसे परिपूर्ण जगत् का हित करने वाले गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को कोटि कोटि नमस्कार है।


(65) sanskrit mein shlok
मायातीताय भक्तानां कामपूराय ते नमः।
सोमसूर्याग्निनेत्राय नमो विश्वम्भराय ते

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
आपको नमस्कार है जो मायावी और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं। आपको नमस्कार है जो चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के नेत्र हैं, और जो संसार को भरते हैं।


(66)
केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं, चतुभुऽजं पाशवराभयानिुं।
सृणिं वहन्तं गणपं त्रीनेत्रं, सचामरस्त्रीयुगलेम युक्तम॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
मैं भगवान गणेश से वंदना करता हूं जो केयर , हर , करीट आभूषण से ससज्जित है । चतुभुऽजं और अपने चारों भुजाओ में पाशा अंकुश वर धारण करते हैं । को तीन नेत्रों वाले आपको दो स्त्रिया चावर डुलाती रहती हैं आपको मेरा कोटि कोटि प्रणाम।


Sanskrit Shlok On vidya | Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

(67) shlok in sanskrit on vidya
विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्।
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम्।
विद्या राजसु पुज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः।।

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
विद्या मनुष्य का विशेष रूप है, विद्या गुप्त धन है। वह भोग की दाता, यश की दाता और उपकारी है। विद्या गुरुओं की गुरु है विद्या विदेश में भाई है। ज्ञान एक महान देवता है, राजाओं में ज्ञान की पूजा होती है, धन की नहीं, बिना शिक्षा वाला व्यक्ति पशु है।


Sanskrit Shlok On Vidya | Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

(68) sanskrit quotes on knowledge
सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम्।
सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम्॥

Hindi Translation: Vidya Shlok In Sanskrit

जिसे सुख की अभिलाषा हो (कष्ट उठाना न हो) उसे विद्या कहाँ से ? और विद्यार्थी को सुख कहाँ से ? सुख की ईच्छा रखनेवाले को विद्या की आशा छोडनी चाहिए, और विद्यार्थी को सुख की ।


(69) sanskrit quotes on knowledge
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥

Hindi Translation: Vidya Shlok In Sanskrit

विद्या विनय देती है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म, और धर्म से सुख प्राप्त होता है ।


(70) sanskrit quotes on knowledge
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।।

Hindi Translation: Vidya Shlok In Sanskrit

बड़ों का सम्मान करने वाले और नित्य वृद्धों (बुजुर्गों) की सेवा करने वाले मनुष्य की आयु, विद्या, यश और बल ये चार चीजें बढ़ती हैं।


(71) sanskrit quotes on knowledge
अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्।
अधनस्य कुतो मित्रममित्रस्य कुतः सुखम्॥

Hindi Translation: Vidya Shlok In Sanskrit
आलसी इन्सान को विद्या कहाँ ? विद्याविहीन को धन कहाँ ? धनविहीन को मित्र कहाँ ? और मित्रविहीन को सुख कहाँ ?


(72) sanskrit quotes on knowledge
कुत्र विधेयो यत्नः विद्याभ्यासे सदौषधे दाने।
अवधीरणा क्व कार्या खलपरयोषित्परधनेषु॥

Hindi Translation: Vidya Shlok In Sanskrit

यत्न कहाँ करना ? विद्याभ्यास, सदौषध और परोपकार में. अनादर कहाँ करना ? दुर्जन, परायी स्त्री और परधन में.


(73) sanskrit quotes on knowledge | sanskrit inspirational quotes

सर्वद्रव्येषु विद्यैव द्रव्यमाहुरनुत्तमम्। अहार्यत्वादनर्ध्यत्वादक्षयत्वाच्च सर्वदा॥

Hindi Translation: Vidya Shlok In Sanskrit

सब द्रव्यों में विद्यारुपी द्रव्य सर्वोत्तम है, क्यों कि वह किसी से हरा नहीं जा सकता; उसका मूल्य नहीं हो सकता, और उसका कभी नाश नहीं होता ।


Sanskrit Quotes On education

(74) sanskrit slogan for education
पुस्तकस्या तु या विद्या परहस्तगतं धनं।
कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनम्॥

Hindi Translation: Vidya Shlok In Sanskrit

जो विद्या पुस्तक में है और जो धन किसी को दिया हुआ है. जरूरत पड़ने पर न तो वह विद्या काम आती है और न वह धन.


(75) sanskrit slogan
विद्या वितर्का विज्ञानं स्मति: तत्परता किया।
यस्यैते षड्गुणास्तस्य नासाध्यमतिवर्तते।।

Hindi Translation: sanskrit slokas on vidya
ज्ञान, तर्क, विज्ञान, स्मृति, तत्परता और दक्षता, जिसके पास ये छह हैं, उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। विद्या पर संस्कृत श्लोक हिन्दी में :


(76) sanskrit slogan
विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम्।
कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणां रूपं पतिव्रतम्॥

Hindi Translation: sanskrit slokas on education

कुरुप का रुप विद्या है, तपस्वी का रुप क्षमा, कोकिला का रुप स्वर, तथा स्त्री का रुप पातिव्रत्य है।


(77) sanskrit slokas on education
न चोरहार्यं न च राजहार्यंन भ्रातृभाज्यं न च भारकारी।
व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम्॥

Hindi Translation:
विद्यारुपी धन को कोई चुरा नहीं सकता, राजा ले नहीं सकता, भाईयों में उसका भाग नहीं होता, उसका भार नहीं लगता, (और) खर्च करने से बढता है। सचमुच, विद्यारुप धन सर्वश्रेष्ठ है।


(78) Sanskrit Quotes On Knowledge
माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा॥

Hindi Translation: vidya par shlok

जो माता-पिता अपने बालक को नहीं पढ़ाते हैं, वह माता शत्रु के समान है और पिता बैरी है; हँसों के बीच बगुले की तरह, ऐसा मनुष्य विद्वानों की सभा में शोभा नहीं देता।


(79) sanskrit quotes on knowledge

विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम् विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।

विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम् विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः॥

Hindi Translation: sanskrit slokas on education

विद्या इन्सान का विशिष्ट रुप है, गुप्त धन है । वह भोग देनेवाली, यशदात्री, और सुखकारक है । विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है । विद्या बडी देवता है; राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं । इसलिए विद्याविहीन पशु हि है ।


(80) vidya shlok
दुयतं पुस्तकवाद्ये च नाटकेषु च सक्तिता।।
स्त्रियस्तन्द्रा च निन्द्रा च विद्याविघ्नकराणि षट्।।

Hindi Translation:
जुआ, वाद्य, नाट्य (फिल्म), स्त्री (या पुरुष) से लगाव, नींद और नींद – ये छह बाधाएं हैं।


(81) sanskrit quotes on knowledge
नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत्।
नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम्॥

Hindi Translation:
विद्या जैसा बंधु नहीं, विद्या जैसा मित्र नहीं, (और) विद्या जैसा अन्य कोई धन या सुख नहीं ।


Sanskrit Shlok On Father | Sanskrit Quotes In english

(82) sanskrit quotes in english
पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥
पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च।
तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥
मातरं पितरंश्चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्।
प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तदीपा वसुन्धरा॥

Hindi Translation:

पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सदगुणों से पिता-माता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये। माता-पिता की परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है।

English Translation:

My Father is my heaven, my father is my dharma, he is the ultimate penance of my life. If he is happy, all deities are pleased. Whose service and virtues keep father and mother satisfied, That son gets the blessings of bathing in the Ganges every day. Mother is omniscient and father is the form of all deities. That is why parents should be worshiped in every way. The orbit of the parents revolves around the earth.


पिता पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | sanskrit quotes in english

(83) sanskrit mein shlok
पिता स्वर्गः पिता धर्मः पिता परमकं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवताः॥

Hindi Translation:
मेरे पिता मेरे स्वर्ग हैं, मेरे पिता मेरे धर्म हैं, वे मेरे जीवन की परम तपस्या हैं।
जब वे खुश होते हैं, तब सभी देवता खुश होते हैं !

English translation:
My Father is my heaven, my father is my dharma, he is the ultimate penance of my life. If he is happy, all deities are pleased.


(84) sanskrit mein shlok
पन्चान्यो मनुष्येण परिचया प्रयत्नतरू ।
पिता माताग्निरात्मा च गुरुश्च भरतर्षभ ।।

Hindi Translation:

भरतश्रेष्ठ ! पिता, माता अग्नि, आत्मा और गुरु – मनुष्य को इन पांच अग्नियों की बड़े यत्न से सेवा करनी चाहिए।

English Translation:

Bharat Shrestha! Father, Mother fire, Soul and Master – Human beings should serve these five fire diligently.

पिता पर संस्कृत श्लोक | sanskrit quotes in english


(85) sanskrit mein shlok | sanskrit slogan
पितृ देवों भवः॥

Hindi Translation: पितृ देवता के समान है।।

English Translation: Father is like a deity.


(86) sanskrit mein shlok | sanskrit slogan
जनकश्चोपनेता च यश्च विद्यां प्रयच्छति।
अन्नदाता भयत्राता पश्चैते पितरः स्मृताः॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok on Father’s Day
जन्मदाता, उपनयन संस्कारकर्ता, विद्या प्रदान करने वाला,
अन्नदाता और भय से रक्षा करने वाला – ये पांच व्यक्ति को पिता कहा गया है।

English translation: sanskrit quotes in english
One who gives birth, one who initiates, one who imparts knowledge, one who provides food and protects from fear – these five are considered as fathers.


(87) sanskrit mein shlok | sanskrit slogan
सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखी।
शान्ति: पत्नी क्षमा पुत्रः षडमी मम बान्धवाः।।

Hindi Translation:

सवाई मेरी माता है। ज्ञान पिता है। धर्म भाई है। और दया सहेली है। शान्ति पत्नी और क्षमा पुत्र है। ये छः मेरे बन्धु हैं।

English Translation:

Truth is my mother, knowledge is my father, righteousness is my brother, compassion is my friend, peace is my wife and patience is my son. These six are my kith and kin.


Saraswati Shlok In Sanskrit With Hindi Meaning | Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

Vasant Panchami (वसंत पंचमी), वसंत के आगमन की याद में मनाया जाने वाला त्योहार, देवी सरस्वती को समर्पित एक विशेष त्योहार माना जाता है। कहा जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती को जन्म दिया था। तभी से वसंत पंचमी को सरस्वती देवी की पूजा का प्रमुख त्योहार माना जाता है।

2022 में 5 February को बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा मनाई गयी थी और 2023 में 26 January को मनाई जाएगी। मां सरस्वती को प्रसन्न करने और उनकी पूजा करने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू उनकी पूजा करना है। तो, यहाँ पाँच सरस्वती sanskrit mein shlok वंदना , Saraswati Sanskrit Shlok With Hindi Meaning या सरस्वती पूजा मंत्र हैं जिनके बारे में आप जान सकते हैं:

(88) Saraswati Shlok In Sanskrit
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
जो कुन्द के फूल, चन्द्रमा, बर्फ और हार के समान श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ उत्तम वीणा से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमलासन पर बैठती हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देव जिनकी सदा स्तुति करते हैं और जो सब प्रकार की जड़ता हर लेती हैं, वे भगवती सरस्वती मेरा पालन करें।


(89) Saraswati Shlok In Sanskrit
मोहान्धकारभरिते ह्रदये मदीये मात: सदैव कुरु वासमुदारभावे।
स्वीयाखिलावयवनिर्मलसुप्रभाभि: शीघ्रं विनाशय मनोगतमन्धकारम्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

हे उदार बुद्धिवाली माँ ! मोहरूपी अन्धकार से भरे मेरे हृदय में सदा निवास करो और अपने सब अंगो की निर्मल कान्ति से मेरे मन के अन्धकार का शीघ्र नाश करो।


(90) Saraswati Shlok In Sanskrit
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

वह देवी जो तीनों लोकों का उद्धारबल,विद्या को देने वाली है, करने वाली है,उसको नमस्कार है, नमस्कार है, नमस्कार हैं।


(91) Saraswati Shlok In Sanskrit
वीणाधरे विपुलमङ्गलदानशीले भक्तार्तिनाशिनि विरिञ्चिहरीशवन्द्ये।

कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे विद्याप्रदायिनि सरस्वतिनौमि नित्यम्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

हे वीणा धारण करने वाली, अपार मंगल देने वाली, भक्तों के दुःख छुड़ाने वाली, ब्रह्मा, विष्णु और शिव से वन्दित होनेवाली कीर्ति तथा मनोरथ देनेवाली, पूज्यवरा और विद्या देनेवाली सरस्वती ! आपको नित्य प्रणाम करता हूँ।


(92) Saraswati Shlok In Sanskrit
सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना:॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
वाणी की अधिष्ठात्री उन देवी सरस्वती को प्रणाम करता हूँ, जिनकी कृपा से मनुष्य देवता बन जाता है।


(93) Saraswati Shlok In Sanskrit
शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
शरत्काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देनेवाली शारदा सब सम्पत्तियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें।


Guru Sanskrit Shlok | गुरु पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

(94)
विनयफलं शुश्रूषा गुरुशुश्रूषाफलं श्रुतं ज्ञानम्।
ज्ञानस्य फलं विरतिः विरतिफलं चाश्रवनिरोधः॥

Hindi Translation:
विनय का फल सेवा है, गुरुसेवा का फल ज्ञान है, ज्ञान का फल विरक्ति (स्थायित्व) है, और विरक्ति का फल आश्रवनिरोध (बंधनमुक्ति तथा मोक्ष) है।


Guru Sanskrit Shlok
Guru Sanskrit Shlok

(95)
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

Hindi Translation:
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है; उन सद्गुरु को प्रणाम ।


(96)
पूर्णे तटाके तृषितः सदैव।
भूतेऽपि गेहे क्षुधितः स मूढः॥
कल्पद्रुमे सत्यपि वै दरिद्रः।
गुर्वादियोगेऽपि हि यः प्रमादी॥

Hindi Translation:
जो इन्सान गुरु मिलने के बावजुद प्रमादी रहे, वह मूर्ख पानी से भरे हुए सरोवर के पास होते हुए भी प्यासा, घर में अनाज होते हुए भी भूखा, और कल्पवृक्ष के पास रहते हुए भी दरिद्र है ।


(97)
धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।
तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥

Hindi Translation:
धर्म को जाननेवाले, धर्म मुताबिक आचरण करनेवाले, धर्मपरायण, और सब शास्त्रों में से तत्त्वों का आदेश करनेवाले गुरु कहे जाते हैं।


(98)
नीचं शय्यासनं चास्य सर्वदा गुरुसंनिधौ।
गुरोस्तु चक्षुर्विषये न यथेष्टासनो भवेत्।।

Hindi Translation:
गुरु के पास हमेशा उनसे छोटे आसन पर ही बैठना चाहिए। गुरु के आते हुए दिखाई देने पर भी अपनी मनमानी से नहीं बैठे रहना चाहिए। अर्थात गुरू का आदर करना चाहिए।


(99)
वेषं न विश्वसेत् प्राज्ञः वेषो दोषाय जायते।
रावणो भिक्षुरुपेण जहार जनकात्मजाम्॥

Hindi Translation:
(केवल बाह्य) वेष पर विश्वास नहि करना चाहिए; वेष दोषयुक्त (झूठा) हो सकता है । रावण ने भिक्षु का रुप लेकर हि सीता का हरण किया था ।


(100)
गुरौ न प्राप्यते यत्तन्नान्यत्रापि हि लभ्यते।
गुरुप्रसादात सर्वं तु प्राप्नोत्येव न संशयः॥

Hindi Translation:
गुरु के द्वारा जो प्राप्त नहीं होता, वह अन्यत्र भी नहीं मिलता। गुरु कृपा से निस्संदेह (मनुष्य​) सभी कुछ प्राप्त कर ही लेता है।


(101)
निवर्तयत्यन्यजनं प्रमादतः स्वयं च निष्पापपथे प्रवर्तते।
गुणाति तत्त्वं हितमिच्छुरंगिनाम् शिवार्थिनां यः स गुरु र्निगद्यते॥

Hindi Translation:
जो दूसरों को प्रमाद करने से रोकते हैं, स्वयं निष्पाप रास्ते से चलते हैं, हित और कल्याण की कामना रखनेवाले को तत्त्वबोध करते हैं, उन्हें गुरु कहते हैं।


(102)
एकमप्यक्षरं यस्तु गुरुः शिष्ये निवेदयेत्।
पृथिव्यां नास्ति तद् द्रव्यं यद्दत्वा ह्यनृणी भवेत्॥

Hindi Translation:

गुरु शिष्य को जो एखाद अक्षर भी कहे, तो उसके बदले में पृथ्वी का ऐसा कोई धन नहि, जो देकर गुरु के ऋण में से मुक्त हो सकें ।


(103)
प्रेरकः सूचकश्वैव वाचको दर्शकस्तथा।
शिक्षको बोधकश्चैव षडेते गुरवः स्मृताः॥

Hindi Translation:
प्रेरणा देनेवाले, सूचन देनेवाले, (सच) बतानेवाले, (रास्ता) दिखानेवाले, शिक्षा देनेवाले, और बोध करानेवाले – ये सब गुरु समान है।



Mahadev Sanskrit Shlok || Mahadev Shlok In Sanskrit

(103)
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
जो शिव नागराज वासुकि का हार पहिने हुए हैं, तीन नेत्रों वाले हैं, तथा भस्म की राख को सारे शरीर में लगाये हुए हैं, इस प्रकार महान् ऐश्वर्य सम्पन्न वे शिव नित्य–अविनाशी तथा शुभ हैं। दिशायें जिनके लिए वस्त्रों का कार्य करती हैं, अर्थात् वस्त्र आदि उपाधि से भी जो रहित हैं; ऐसे निरवच्छिन्न उस नकार स्वरूप शिव को मैं नमस्कार करता हूँ। ।


(104)
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं न मन्त्रो न तीर्थं न वेदो न यज्ञः |
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहं शिवोऽहम् ||

Hindi Translation:
न मैं पुण्य हूँ, न पाप, न सुख और न दुःख, न मन्त्र, न तीर्थ, न वेद और न यज्ञ, मैं न भोजन हूँ, न खाया जाने वाला हूँ और न खाने वाला हूँ, मैं चैतन्य रूप हूँ, आनंद हूँ, शिव हूँ, शिव हूँ


(105)
ॐ त्रयम्बके यजामहे सुगंधि पुष्टिवृध्नम उर्वारुक्मिव।
बन्धनान् मृत्योमुर्क्षीय मार्मतात्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
(हम त्रिनेत्र धारी शिव की अराधना करते हैं जो अपनी शक्ति से सँसार का पालन करते हैं उनसे प्रार्थना हैं कि वे हमें जीवन व मृत्यु के बंधन से मुक्त करें और हमें दिखा दे कि हम कभी भी अपनी अमर प्रकृति से अलग नहीं होते हैं!!!)


(106)
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं।
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं।
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं।

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और हम सबके स्वामी शिवजी, आपको मैं नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, चेतन, इच्छा रहित, भेद रहित, आकाश रूप शिवजी मैं आपको हमेशा भजता हूँ।


Mahashivratri Shlok In Sanskrit

(107)
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ।।

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
संसार के भय को नष्ट करने वाले, देवेश, गङ्गाधर, वृषभवाहन, पार्वतीपति, हाथमें खट्वाङ्ग एवं त्रिशूल लिये और संसाररूपी रोग का नाश करने के लिये अद्वितीय औषध-स्वरूप, अभय एवं वरद मुद्रायुक्त हस्त वाले भगवान् शिव का मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ।


Shiv Shlok Sanskrit

(108)
सविशॉपयमर्तयते भवाछवमुण्डाभरणोपि पावन:।
भव एव भवान्तकं:सत्ता समधखिवषमेक्षनोपि सन्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
(है शम्भो आप विषसहित होते हुए भी अमृत के समान हैं शवों के मुंडो से सुशोभित होते हुए भी पवित्र हैं स्वयं जगत के उत्पादकद्ध भव होते हुए भी सज्जनों के या संतो के सांसारिक बंधरध को दूर करने वाले हैं आप विष्मनेत्रा अर्थात तीन नेत्रा, सूर्य, अग्नि, चंद्र नेत्राद्ध वाले होते हुए भी समदृष्टि अर्थात पक्षपात रहित हैं!!!)


(109)
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
जो भगवान् शंकर संतजनों को मोक्ष प्रदान करने के लिए अवन्तिकापुरी उज्जैन में अवतार धारण किए हैं, अकाल मृत्यु से बचने के लिए उन देवों के भी देव महाकाल नाम से विख्यात महादेव जी को मैं नमस्कार करता हूँ ।


(110)
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम: शिवाय॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
जो शिव स्वयं कल्याण स्वरूप हैं, और जो पार्वती के मुख कमलों को विकसित करने के लिए सूर्य हैं, जो दक्ष–प्रजापति के यज्ञ को नष्ट करने वाले हैं, नील वर्ण का जिनका कण्ठ है, और जो वृषभ अर्थात् धर्म की पताका वाले हैं; ऐसे उस शिकार स्वरूप शिव को मैं नमस्कार करता हूँ।


Shiv Shlok Sanskrit

(111)
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
भगवान शिव शंकर जो पर्वतराज हिमालय के नजदीक पवित्र मन्दाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक श्रृंग में निवास करते हैं और हमेशा ऋषि मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं। जिनकी यक्ष-किन्नर, नाग व देवता-असुर आदि भी हमेशा पूजा करते हैं उन अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिव शंकर की मैं स्तुति करता हूँ।


(112)
नमस्ते भगवान रूद्र भास्करामित तेजसे।
नमो भवाय देवाय रसायाम्बुमयात्मने॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे भगवान ! हे रुद्र ! आपका तेज अनगिनत सूर्योंके तेज समान है । रसरूप, जलमय विग्रहवाले हे भवदेव ! आपको नमस्कार है ।


(113)
करचरण कृतं वा क्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितम विहितं वा सर्वमे तत्क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो॥

Hindi Translation:
हे भगवान शिव, कृपया मेरे हस्त, चरण, वाणी, शरीर या अन्य किसी भी शरीरके कर्म करने वाले अंग से या कान, नेत्र या मन से हुए सभी अपराधको क्षमा करें। हे महादेव, शम्भो! आपके करुणाके सागर हैं, आपकी जय हो।


(114)
सदुपायकथास्वपण्डितो हृदये दु:खशरेण खण्डित:।
शशिखण्डमण्डनं शरणं यामि शरण्यमीरम्॥

Hindi Translation:
हे शम्भो! मेरा हृदय दु:ख रूपीबाण से पीडित है, और मैं इस दु:ख को दूर करने वाले किसी उत्तम उपाय को भी नहीं जानता हूँ अतएव चन्द्रकला व शिखण्ड मयूरपिच्छ का आभूषण बनाने वाले, शरणागत के रक्षक परमेश्वर आपकी शरण में हूँ। अर्थात् आप ही मुझे इस भयंकर संसार के दु:ख से दूर करें।


Shiv Sanskrit Shlok

(115)
मंदाकिनी सलिल चन्दन चर्चिताय
नन्दी श्वर प्रमथ नाथ महेश्वराय।
मन्दार पुष्प बहुपुष्प सु पूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय॥

Hindi Translation:
जो शिव आकाशगामिनी मन्दाकिनी के पवित्र जल से संयुक्त तथा चन्दन से सुशोभित हैं, और नन्दीश्वर तथा प्रमथनाथ आदि गण विशेषों एवं षट् सम्पत्तियों से ऐश्वर्यशाली हैं, जो मन्दार–पारिजात आदि अनेक पवित्र पुष्पों द्वारा पूजित हैं; ऐसे उस मकार स्वरूप शिव को मैं नमस्कार करता हूँ।


(116)
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे॥

Hindi Translation:
जो भगवान् शंकर पर्वतराज हिमालय के समीप मन्दाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक श्रृंग में निवास करते हैं, तथा मुनीश्वरों के द्वारा हमेशा पूजित हैं, देवता-असुर, यक्ष-किन्नर व नाग आदि भी जिनकी हमेशा पूजा किया करते हैं, उन्हीं अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिव की मैं स्तुति करता हूँ।


Mahadev Sanskrit Shlok

(117)
पद्मावदातमणिकुण्डलगोवृषाय कृष्णागरुप्रचुरचन्दनचर्चिताय।
भस्मानुषक्तविकचोत्पलमल्लिकाय नीलाब्जकण्ठसदृशाय नम: शिवाय॥

Hindi Translation:
जो स्वच्छ पद्मरागमणि के कुण्डलों से किरणों की वर्षा करने वाले हैं, चन्दन तथा अगरू से चर्चित तथा भस्म, जूही से सुशोभित और प्रफुल्लित कमल ऐसे नीलकमलसदृश कण्ठवाले शिव शंकर को प्रणाम।


Diwali Sanskrit Shlok || Diwali Shlok In Sanskrit

(118)
हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह।।
शुभ दीपावलिः

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे वीतवेद (जो सब कुछ जानता है) अग्निदेव! स्वर्ण (महालक्ष्मी),
थोड़ा हरा-भरा, सोने-चांदी की माला (महालक्ष्मी) धारण करना,
चंद्रावत प्रसन्नकांति ने स्वर्ण देवता लक्ष्मीदेव को मेरे पास आमंत्रित किया।
दीपावली की भी शुभ कामनाएं हैं।


(119)
शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसम्पदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते॥

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
मैं उस प्रकाश को नमन करता हूँ जो समृद्धि, शुभता, अच्छा स्वास्थ्य, धन की प्रचुरता और शत्रु बुद्धि का विनाश लाता है।


(120)
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषितं च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं॥
शुभ दीपावलिः

Hindi Translation:
जिन्होंने निरंतर समस्त रोग दूर किये, जिन्होंने (अच्छे) आरोग्य के विधी बताई, जिन्होंने ओषधियों के छुपे स्वरूप को बताया, उन धन्वंतरी भगवान को मै प्रणाम करता हुँ।

दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें।


(121)
दीपस्य प्रकाशः न केवलं भवतः गृहम् उज्ज्वालयतु जीवनम् अपि।

Hindi Translation:
दीयों की रोशनी न केवल आपके घर को बल्कि आपके जीवन को भी रोशन करे।


(122)
स्वास्थ्याय समृद्ध्यै सुखाय च शुभकामनाः।

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
आपको स्वास्थ्य, समृद्धि और आनंद की कामना।


Mahabharat Sanskrit Shlok || 5 Shlok In Sanskrit

5 shlok in sanskrit

(123)
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मन: |
काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत् ||

Hindi Translation: hindi shlok
विनाश के तीन प्रवेश द्वार हैं- काम, लोभ और क्रोध


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5 shlok in sanskrit

(124)
सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ |
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ||

Hindi Translation: hindi shlok
कर्तव्य के लिए लड़ो, सुख और संकट, हानि और लाभ, जीत और हार को एक समान समझो। इस प्रकार अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करने से तुम पर कभी पाप नहीं होगा।


5 shlok in sanskrit, hindi shloka

(125)
क्रोधाद्भवति सम्मोह: सम्मोहात्स्मृतिविभ्रम: |
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ||

Hindi Translation: hindi shlok
क्रोध से ग्रस्त व्यक्ति सही और गलत का न्याय करने के लिए नियंत्रण खो देता है। इसलिए, वह अपनी बुद्धि की शक्ति को नष्ट कर देता है और जैसा कि कहा जाता है कि बुद्धि के बिना व्यक्ति जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है। वह बर्बाद हो जाएगा।


5 shlok in sanskrit, hindi shloka

(126)
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ||

Hindi Translation: hindi shlok
अपने जीवन से डरो मत। निडर बनो – आत्मा न तो जन्म लेती है और न ही कभी मरती है।


5 shlok in sanskrit

(127)
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदु: खदा: |
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ||

Hindi Translation: hindi shlok
सहना सीखो, इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है
इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है


Hanuman Ji Shlok In Sanskrit

(128) sanskrit mantra
बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं निर्भयत्वमरोगता।
अजाड्यं वाक्पटुत्वं च हनुमत्स्मरणाद्भवेत्।।

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
बुद्धि, बल, यश, धैर्य, निर्भयता, स्वास्थ्य, चेतना और वाक्पटुता,
यह सब श्री हनुमान जी को याद करने से प्राप्त किया जा सकता है।


(129)
शान्तः प्रयासात्पूर्वं विषमादनन्तरं च।

Hindi translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
शांत​ – प्रयास के पूर्व भी, तुफ़ान के उपरांत भी।


(130) sanskrit mantra
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥

Hindi translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
ॐ, हम अंजनीकुमार और वायुपुत्र पर ध्यान करते हैं। भगवान हनुमान हमें जागरित करें॥


(131)
पवनतनय संकट हरन,मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,हृदय बसहु सुर भूप।।

Hindi Translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे संकटमोचक पवन कुमार! आप खुशी के अवतार हैं। हाय भगवान्! आप श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास करते हैं।


(132)
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

Hindi translation: Sanskrit Shlok With Hindi Meaning
हे मनोहर, वायुवेग से चलने वाले, इन्द्रियों को वश में करने वाले, बुद्धिमानो में सर्वश्रेष्ठ। हे वायु पुत्र, हे वानर सेनापति, श्री रामदूत
हम सभी आपके शरणागत है।


Krishna Shlok In Sanskrit || Sanskrit Shlok With Hindi Meaning

(133) sanskrit mantra
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

Hindi Translation: yada yada hi dharmasya sanskrit shlok
श्री कृष्ण कहते हैं कि जब भी ब्रह्मांड में धर्म की हानि होती है, अर्थात अधर्म बढ़ता है, तब मैं धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेता हूं। जो अधर्म करते हैं, भगवान उनका नाश करते हैं, इसलिए धर्म के अनुसार आचरण करना चाहिए।


(134)
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥

Hindi Translation:
कंस और चाणूर का वध करनेवाले, देवकी के आनन्दवर्द्धन, वसुदेवनन्दन जगद्गुरु श्रीक़ृष्ण चन्द्र की मैं वन्दना करता हूँ ।


(135)
कालचक्रं जगच्चक्रं युगचक्रं च केशवः।
आत्मयोगेन भगवान् परिवर्तयतेऽनिशम्॥

Hindi Translation:
यह श्रीकेशव ही है जो अपनी चिचचक्‍ति से हरणिश कालचक्र,
जगचक्र और युग-चक्र को घुमाता रहता है।


(136) sanskrit mantra
वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम॥

Hindi Translation:
श्रीराधारानी वृन्दावन की स्वामिनी हैं और भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन के स्वामी हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो।


(137) sanskrit mantra
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

Hindi Translation:
इस श्लोक में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फल पर तुम्हारा अधिकार नहीं है। इसलिए कर्म के फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। इस श्लोक में कर्म का महत्व समझाया गया है। हमें केवल कर्म पर ध्यान देना चाहिए। यानी अपना काम पूरी ईमानदारी से करें और गलत कामों से बचें।


(138)
पृथिवीं चान्तरिक्षं च दिवं च पुरुषोत्तमः।
विचेष्टयति भूतात्मा क्रीडन्निव जनार्दनः॥

Hindi Translation:
वे सर्वंतरीमी पुरुषोत्तम जनार्दन हैं, मानो वे खेल के माध्यम से पृथ्वी, आकाश और स्वर्गीय दुनिया को प्रेरित कर रहे हैं।


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